Mahesh-Kumar-Haryanvi-Ke-Bhajan
Mahesh-Kumar-Haryanvi-Ke-Bhajan कृष्ण भजन © तुम्हें नित नए रंग में पूजें सब रूप रूप से निराले। ओह! गिरधर मुरली वाले ओह गिरधर मुरली वाले। तेज ने तेरे विश्व हिलाया देव, गुरु, जन देख रहे थे। हरि से मिलने हर घर आए रसा रत्न रस बरस रहे थे। रहे ममता के मतवाले। ओह गिरधर मुरली वाले। माखन खाकर मायाकर ने कितनों की लाज बचाई थी। प्रेम तत्व से तृप्त किया फिर हार को जीत बनाई थी। संगीत पे जगत नचाले। ओह गिरधर मुरली वाले। प्रीत में पावन मन भावन आभा आपकी आप निराली चाल-चलन की बात बताऊँ पग-पग पर बिखरी हरयाली। खिले प्रेम के रूप निराले ओह गिरधर मुरली वाले। बीच समंदर जा के अंदर। द्वारका नगरी बसाई थी। मथुरा को खुशहाल किया वो, रघुवर की करुणाई थी। खुद शांति आप सँभाले। ओह गिरधर मुरली वाले। इतिहासों के पन्ने बोलें महाभारत जैसी सीख कहाँ मैदा की धर्म विजय गाथा दे गीता का उपदेश जहाँ। रहे रथ की डोर सँभाले ओह गिरधर मुरली वाले।। तुम्हें नित नए रंग में पूजें सब रूप रूप से निराले। ओह! गिरधर मुरली वाले ओह गिरधर मुरली वाले।। युवा कवि: महेश कुमार हरियाणवी झूक, महेन्द्रगढ़, 123029 9015916317 *** पाप की कमाई © नफरत क...